मरियम का एलिजाबेथ से मिलन - भाग 6 [मरियम का भजन] - लूकस 1:46-55 The Magnificat (Luke 1:46-55)
मरियम का एलिजाबेथ से मिलन "मरियम के भजन" के साथ समाप्त होता है। मरियम अपने आपको प्रभु की सबसे छोटी दासी के रूप में देखती है। अपने आपको "मानव ईश्वर" नहीं जो स्वयं निर्णय लेता और दूसरों पर अपनी इच्छा थोप्ता, पर सच्चे ईश्वर की इच्छा उनसे जानती और उनको पूर्ण करने के लिए "अपने आपको ईश्वर की दीन दासी" के रूप में अर्पित करती है। मरियम का भजन ईश्वर के प्रति उसकी भावना का प्रकटीकरण है। हमें भी मरियम का मनोभाव अपनाने की जरुरत है।
The Magnificat is the culmination of Mary's visit to Elizabeth. This Song of her heart reflects her attitude and relationship to God. Mary always discerned the will of God and to fulfill that she surrendered herself as "the humblest slave of God". Magnificat is the expression of her heart's feelings and attitude towards God.
To reflect on the Magnificat with Fr. George Mary Claret, listen to the episode.
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https://anchor.fm/greatergloryofgod/episodes/---6-------146-55-The-Magnificat-Luke-146-55-elc2u8
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