मरियम के साथ यात्रा
[भाग - 9] सबसे नम्र दास /दासी बनना
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https://anchor.fm/greatergloryofgod/episodes/--9-emeib3
“से बेहतर” मनोभाव जीवन के हर पड़ाव पर देखने को मिलते हैं – रूप, प्रतिभा, धन, गुण, उपलब्धियाँ आदि। मुझे नहीं लगता कि इस मनोभाव के बिना कोई होंगे!
दुनिया के अनुसार, एक व्यक्ति का मूल्य इस बात पर निर्भर करता है कि कोई क्या हासिल करता है।
दुनिया एक बाजार बन गई है और लगता है कि हर कोई एक व्यापारी बन गया है, अपना विज्ञापन देना, प्रचार करना और खुद को बेच देते हैं।
येसु ही सबसे नम्र व्यक्ति हैं!
इसलिए नम्र बनना ईष्वर-जैसा बनना है।
जितना हम नम्र बनते हैं, उतना ही हम येसु-जैसे / ईश्वर-जैसे बनते जाते हैं।
मानव व्यक्तियों में मरियम ही सबसे नम्र हैं!
मत्ती 11:29
29) मेरा जूआ अपने
ऊपर ले लो और
मुझ से सीखो। मैं
स्वभाव से नम्र और
विनीत
हूँ।
पेत्रुस का पहला पत्र 5:5
आप सब-के-सब नम्रतापूर्वक एक दूसरे की सेवा करें; क्योंकि ईश्वर घमण्डियों का विरोध करता, किन्तु
विनम्र लोगों
पर दया करता है।
घमंड
- अपनी ही इच्छा अनुसार कार्य करना
- ईश्वर की इच्छा के विरूद्ध चलना
- ईश्वर की कृपा से किये गये सब कार्यों का श्रेय स्वयं लेना।
नम्रता-
- कभी भी अपनी इच्छा करना नहीं
- अपनी रूची के लिए
- अपनी क्षमता और उपलब्धियों को कभी अपना नहीं मानना।
- क्योंकि मैं जो भी हूँ और मेरे पास जो कुछ है - मेरी प्रतिभा, क्षमता, योग्यता और यहाँ तक मेरा जीवन भी - वह सब ईश्वर का है। यह अनुभव विनम्रता को जन्म देता है।
फ़िलिप्पि 4:13
13) जो मुझे बल
प्रदान करते हैं, मैं
उनकी सहायता से सब कुछ
कर
सकता
हूँ।
मनन चिंतन के लिएः
आपकी क्षमताएँ क्या-क्या हैं?
आपकी कमजोरियाँ क्या-क्या हैं?
क्या आप जो हैं एवं अपने
पास जो सब
कुछ हैं उसका श्रेय
ईश्वर को दे
सकते हैं?
आपकी दुनिया का
ईश्वर कौन हैं?
आप मरियम की
नम्रता से क्या
सीख सकते हैं?
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