मरियम के साथ यात्रा में
[भाग - 8] - ईश्वर के लिए विशेष एवं मूल्यवान
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आपकी दृष्टि में आपका मूल्य क्या है?
कितने मूल्य में अपने आपको या अपने प्रिय जनों को लोग बेच देते हैं?
आपका वास्तविक मूल्य जानने सुनिये!
इसायाह का ग्रन्थ 43:4-5
"तुम मेरी दृष्टि में मूल्यवान् हो और महत्व रखते हो। मैं तुम्हें प्यार करता हूँ। इसलिए मैं तुम्हारे बदले मनुष्यों को देता हूँ? तुम्हारे प्राणों के लिए राष्ट्रों को देता हूँ। नहीं डरो! मैं तुम्हारे साथ हूँ।"
1 कुरिन्थियों1 Corinthians 6:19-20
“क्या आप लोग यह नहीं जानते कि आपका शरीर पवित्र आत्मा का मन्दिर है? वह आप में निवास करता है और आप को ईश्वर से प्राप्त हुआ है। आपका अपने पर अधिकार नहीं है; क्योंकि आप लोग कीमत पर खरीदे गये हैं। इसलिए आप लोग अपने शरीर में ईश्वर की महिमा प्रकट करें।“
1 पेत्रुस (1 Peter) 1:18-19
“18) आप लोग जानते हैं कि आपके पूर्वजों से चली आयी हुई निरर्थक जीवन-चर्या से आपका उद्धार सोने-चांदी जैसी नश्वर चीजों की कीमत पर नहीं हुआ है,
19) बल्कि एक निर्दोष तथा निष्कलंक मेमने अर्थात् मसीह के मूल्यवान् रक्त की कीमत पर।“
लूकस(Luke) 12:7 “हाँ, तुम्हारे सिर का बाल-बाल गिना हुआ है। इसलिए नहीं डरो। तुम बहुतेरी गौरैयों से बढ़ कर हो।“
इसायाह का ग्रन्थ 49:15-16
“क्या स्त्री अपना दुधमुँहा बच्चा भुला सकती है? क्या वह अपनी गोद के पुत्र पर तरस नहीं खायेगी? यदि वह भुला भी दे, तो भी मैं तुम्हें कभी नहीं भुलाऊँगा। मैंने तुम्हें अपनी हथेलियों पर अंकित किया है, तुम्हारी चारदीवारी निरन्तर मेरी आँखों के सामने है।“
मनन चिंतन के लिएः
आपकी दृष्टि में आपका मूल्य क्या है?
अपके प्रिय जनों के नजर में आपका कितना मूल्य है?
क्या आपने अपने आपको पूर्णरूप से ग्रहण कर लिया है?
ईष्वर के इस असीम प्रेम को ग्रहण करने में किन-किन चुनौतियों (अंदर एवं बाहर से) का सामना करना पड़ सकता है?
इसके अनुरूप जीने के लिए आप क्या-क्या करने वाले हैं? और इस कितने दिन लग सकते हैं?
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