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ईश्वर की इच्छा अनुसार औ उनकी महिमा के लिए जीना Living as God wants and for His Greater Glory

 ईश्वर की इच्छा अनुसार औ उनकी महिमा के लिए जीना  Living as God wants and for His Greater Glory मानव जीवन एक यात्रा है जो हम अपने वास्तविक घर (स्वर्ग - फिलिप्पियों 3:20) की ओर कर रहे हैं। इस चुनौतीपूर्ण यात्रा में हमारे ध्यान भटकाने औ ईश्वर द्वारा निर्धारित उस जीवन लक्ष्य से हमें दूर करने बहुत सारे प्रलोभनों एवं समस्याओं का सामना करना पड़ता है। क्या आपके जीवन में अनसुलझी समस्याएं हैं? उनका सामना कैसे करते हैं? उनके सुलझाने के लिए आप क्या करते हैं? उनसे बेहतर तरीके क्या हो सकती हैं? क्या उनका सामना करने में मरियम, यूसुफ और योब हमें कुछ सिखा सकते हैं? क्या आप सच्चे ईश्वर को जानते हैं? क्या आप ईश्वर के साथ हैं? क्या आपने कभी सोचा है "क्यों हम ईश्वर से अलग हो जाते हैं" ? Do you have unsolved pestering problems in life? What do you do to solve them? How do you face them? What could be a better way to face them? Can Mary, Joseph, and Job teach us to face these frustrating perpetual problems? Are you with God? Have you experienced Him? Have you really known the REAL God? Have you eve
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मरियम के साथ यात्रा [भाग - 11] अपने जीवन में प्रभु येसु का होने का आनंद

  मरियम के साथ यात्रा   [भाग - 11] अपने जीवन में प्रभु येसु का होने का आनंद सुनने   के   लिए ,  लिंक   पर   क्लिक   करेंः Anchor https://anchor.fm/greatergloryofgod/episodes/--11-en23lh Google https://www.google.com/podcasts?feed=aHR0cHM6Ly9hbmNob3IuZm0vcy8zOTljZGUyOC9wb2RjYXN0L3Jzcw == Pocket Cast https://pca.st/pj63x4xf RadioPublic https://radiopublic.com/mary-the-mother-of-god-G1ew1Y Spotify https://open.spotify.com/show/6N1RFLqW5QoveOhLE7lseU इसायाह का ग्रन्थ 55:1-13 1) “तुम सब, जो प्यासे हो, पानी के पास चले आओ। यदि तुम्हारे पास रुपया नहीं हो, तो भी आओ। मुफ़्त में अन्न ख़रीद कर खाओ, दाम चुकाये बिना अंगूरी और दूध ख़रीद लो। 2) जो भोजन नहीं है, उसके लिए तुम लोग अपना रुपया क्यों ख़र्च करते हो? जो तृप्ति नहीं दे सकता है, उसके लिए परिश्रम क्यों करते हो? मेरी बात मानो। तब खाने के लिए तुम्हें अच्छी चीज़ें मिलेंगी और तुम लोग पकवान खा कर प्रसन्न रहोगे। 3) कान लगा कर सुनो और मेरे पास आओ। मेरी बात पर ध्यान दो और तुम्हारी आत्मा को जीवन प्राप्त होगा। मैंने दाऊद से दया करते रहने की प्रतिज्ञा की थ

मरियम के साथ यात्रा [भाग - 10] मरियम के समान मौन एवं एकांत में रहने की जरूरत

  मरियम के साथ यात्रा [भाग - 10] मरियम के समान मौन एवं एकांत में रहने की जरूरत सुनने   के   लिए ,  लिंक   पर   क्लिक   करेंः Anchor https://anchor.fm/greatergloryofgod/episodes/--10-empht9 Google https://www.google.com/podcasts?feed=aHR0cHM6Ly9hbmNob3IuZm0vcy8zOTljZGUyOC9wb2RjYXN0L3Jzcw == Pocket Cast https://pca.st/pj63x4xf RadioPublic https://radiopublic.com/mary-the-mother-of-god-G1ew1Y Spotify https://open.spotify.com/show/6N1RFLqW5QoveOhLE7lseU मरियम के समान मौन एवं एकांत में रहना शब्द का हमारे शरीर में शरीर-धारण करने में अनिवार्य है। प्रकाशना ग्रन्थ 3: 20 मैं द्वार के सामने खड़ा हो कर खटखटाता हूँ। यदि कोई मेरी वाणी सुन कर द्वार खोलेगा, तो मैं उसके यहाँ आ कर उसके साथ भोजन करूँगा और वह मेरे साथ। 1 राजा 19:11-13 11) प्रभु ने उस से कहा, "निकल आओ, और पर्वत पर प्रभु के सामने उपस्थित हो जाओ“। तब प्रभु उसके सामने से हो कर आगे बढ़ा। प्रभु के आगे-आगे एक प्रचण्ड आँधी चली- पहाड़ फट गये और चट्टानें टूट गयीं , किन्तु प्रभु आँधी में नहीं था। आँधी के बाद भूकम्प हुआ , किन्तु प्रभु भूकम्प मे

मरियम के साथ यात्रा [भाग - 9] सबसे नम्र दास /दासी बनना

 मरियम के साथ यात्रा  [भाग - 9] सबसे नम्र दास /दासी बनना सुनने   के   लिए ,  लिंक   पर   क्लिक   करेंः https://anchor.fm/greatergloryofgod/episodes/--9-emeib3 “से बेहतर” मनोभाव जीवन के हर पड़ाव पर देखने को मिलते हैं – रूप , प्रतिभा , धन , गुण , उपलब्धियाँ आदि। मुझे नहीं लगता कि इस मनोभाव के बिना कोई होंगे ! विनम्रता सभी गुणों की जननी है। दुनिया के अनुसार, एक व्यक्ति का मूल्य इस बात पर निर्भर करता है कि कोई क्या हासिल करता है। दुनिया एक बाजार बन गई है और लगता है कि हर कोई एक व्यापारी बन गया है, अपना विज्ञापन देना, प्रचार करना और खुद को बेच देते हैं। येसु ही सबसे नम्र व्यक्ति हैं! इसलिए नम्र बनना ईष्वर-जैसा बनना है। जितना हम नम्र बनते हैं, उतना ही हम येसु-जैसे /  ईश्वर -जैसे बनते जाते हैं।  मानव व्यक्तियों में मरियम ही सबसे नम्र हैं!   मत्ती 11:29   29) मेरा जूआ अपने ऊपर ले लो और मुझ से सीखो। मैं स्वभाव से नम्र और विनीत हूँ। पेत्रुस का पहला पत्र 5:5 आप सब - के - सब नम्रतापूर्वक एक दूसरे की सेवा करें ;